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Drifting

Falling freely through seas of emptiness. Tossing, turning, drifting, lifeless. At the speed of light. Lost all count of time. Seeping thro...

Wednesday 28 March 2012

तेरी बावरी

मीलों की  हैं दूरी
पर तेरी आँखों में, मैं अब तक हूँ डूबी..

हर लम्हा हैं मजबूरी
पर धडकने ये मेरी, सिर्फ तेरे ही लिए धड़क रही..

सपने सजे हैं कितने इन नैनों में...
ख्वाईशें दबी हैं कितनी इन साँसों में...

पर हैं यकीन इस दिल में,
एक दिन सच होंगे ये सपने!
ये आसूं भी होंगे ख़ुशी के झरने!

इतनी बातें जो रेह गयी थी अधूरी,
कल फिर ये ज़िन्दगी होगी तुझही से पूरी!

साथ ना पा सकी मैं तेरा इस जनम,
पर कल तेरे ही संघ फिर बढ़ेंगे मेरे कदम!


हां हैं यकीन दिल में मेरे,
मिलेंगे हम फिर उस जहां में!
दूर सबसे अपने ही मेहेक्ते आशियाँ में!



अब बस, हैं मीलों की दूरी..
और बढती ही रेहती हर पल मेरे दिल की बेचैनी

अब बस, हर लम्हा हैं मजबूरी..
और मुस्कुराती रेहती तेरे लिए मैं, बनके मैं तेरी बावरी..




















8 comments:

  1. You're a brilliant writer :)

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  2. wow,, tats really flattering :)
    yet learning dear.. glad u liked it..
    thnx so much :)

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    Replies
    1. I'll be away again for a while. I do hope to see you once I'm back :) Will catch up on your posts then :)

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  3. Beautiful expression. I loved these lines,

    "इतनी बातें जो रेह गयी थी अधूरी,
    कल फिर ये ज़िन्दगी होगी तुझही से पूरी!"

    Loved the title too...:)

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