तो क्या हुआ ऐ चाँद जो तू आज मुझे दिखा नहीं ?
तस्वीर तेरी तो हमेशा हैं इस दिल में बसीं..
दूर तू सही, शायद नाराज़ मुझसे कहीं,
पर मेरे लिए तो, तू ही हैं सबसे हसीन.
जब घबराता ये मन अंधेरे से,
बचाए रौशनी तेरी, बुरे साए और वेहेम से..
नूर से तू हैं भरा-भरा, हैं तुझ पे कुदरत की नियामत
देख पाऊ तुझको मैं ज़रा-ज़रा, हैं मुझ पे खुदा की रेहमत.
याद आये तेरी, तोह चेहरे पे मुस्कान खिल-खिलाती,
हैं फ़रियाद ये मेरी, हर पल रहे खूबसूरती तेरी जग-मगाती
तो क्या हुआ ऐ चाँद जो तू आज मुझे दिखा नहीं?
दूर तू सही,,
पर इस दिल से नहीं!!
:) door to sahi par is dil se nahi :)
ReplyDeleteHow we all feel so at some point or the other...haina :)
ya chints.. :)
ReplyDeletesumthings r never far from u.. :)