इश्वर मसजिद, मंदिर या चुर्च में नही मिलता.
वो मिलता हैं हमें जब हम अच्छाई और प्यार को हमारे दिल में जगा देते हैं.
जब अच्छाई को हम इस जीवन की मंजिल मान कर उसकी राह पर चलते हैं.
तब इश्वर मिलता हैं हमें ,
अपने अच्हे कर्मो में,
अपने अच्हे बोल में,
और अपनी अच्छी सोंच में.
चाहे ये अच्छाई छोटी ही क्यों न हो ,
आखिर सागर तो भरता हैं बारिश की नन्ही बूंदों से!
वो मिलता हैं हमें जब हम अच्छाई और प्यार को हमारे दिल में जगा देते हैं.
जब अच्छाई को हम इस जीवन की मंजिल मान कर उसकी राह पर चलते हैं.
तब इश्वर मिलता हैं हमें ,
अपने अच्हे कर्मो में,
अपने अच्हे बोल में,
और अपनी अच्छी सोंच में.
चाहे ये अच्छाई छोटी ही क्यों न हो ,
आखिर सागर तो भरता हैं बारिश की नन्ही बूंदों से!
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